आत्मनिर्भर भारत अभियान - एक विश्लेषण
Keywords:
वित्तीय पैकेज, एम.एस.एम.ई क्षेत्र, अर्थव्यवस्था का संरचनात्मक ढॉचा, कृषि।Abstract
वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व जिस संकंट के दौर से गुजर रहा हैं, तो वह कोरोना वायरस महामारी हैं, जिसने न केवल मानव स्वास्थ्य को प्रभावित किया हैं बल्कि अधिकॉश देशों की अर्थव्यवस्थाओं को क्षत-विक्षिप्त करके मंदी की अवस्था में पहुॅचा दिया हैं। इसका कारण कोविड-19 के फैलते हुये संक्रमण को ध्यान में रखते हुये राष्ट्रव्यापी तालाबंदी की प्रक्रिया को अपनाना हैं, जिसके तहत अर्थव्यवस्था में संचालित सभी आर्थिक एवं वाणिज्य गतिविधियों को बंद करना था। इसमें हमारा देश भारत भी शामिल रहा हैं।
भारत सरकार ने जैसे ही कोरोना महामारी का आगाज हुआ, वैसे ही देश में राष्ट्रव्यापी तालाबंदी की प्रक्रिया का शुभारंभ कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गयी थी अर्थात ध्वस्त होकर मंदी की स्थिति में प्रवेश कर गयी थी। ऐसी संकट की स्थिति में भारतीय प्रधानमंत्री (श्री नरेन्द्र मोदी जी) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी की स्थिति से उभरने के लिये एक कार्यक्रम या अभियान आत्मनिर्भर भारत शुरू किया हैं, जिसके अन्तर्गत कुल 20 लाख करोड़ रूपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की हैं।
भारत सरकार द्वारा संचालित आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत अर्थव्यवस्था को पुर्नः प्राप्ति या पुनः पटरी पर लाने के लिये कुल 5 स्तंभ निर्धारित किये हैं, जैसेः- अर्थव्यवस्था, जनसॉख्यिकीय, संरचनात्मक ढॉचा, मॉग तथा तकनीकी आदि। भारतीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस अभियान की घोषणा तीन चरणों में की थी। इसमें पहले चरण की घोषणा 13 से 17 मई, 2020 और द्वितीय एवं तृतीय चरणों की घोषणा क्रमशः 12 अक्टूबर, 2020 व 12 नवम्बर 2020 को की थी।
आत्म निर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत कुल आर्थिक पैकेज (20 लाख करोड़ रूपये) को चार भागों में विभाजित करके व्यय करने का प्रावधान रखा हैं। इसमें प्रथम भाग में 594550 करोड़, द्वितीय भाग में 310000 करोड़, तृतीय भाग में 150000 करोड़ तथा चतुर्थ भाग में 48100 करोड़ रूपये आदि। उक्त भागों में सर्वाधिक धनराशि का निर्धारण प्रथम भाग में किया गया हैं। इसका कारण देश के ऐसे उद्योग या व्यवसाय (सूक्ष्म, छोटे, लघु) जिन्हें एमएसएमई नाम दिया गया हैं, का पुनरूद्दार करना हैं, क्योंकि तालाबंदी के कारण ये व्यवसाय व उद्यम सबसे अधिक प्रभावित हुये हैं और कार्य की दृष्टि से देश की अधिकॉश आबादी इस प्रकार के उद्यमों में संलग्न होकर अपना जीवन यापन कर रही हैं, इसीलिये एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने का भी प्रावधान निश्चित किया हैं।
आर्थिक पैकेज के भाग द्वितीय के अन्तर्गत जो धनराशि अर्थात 310000 करोड़ रूपये निर्धारित की हैं, उसका उद्देश्य तालाबंदी के कारण प्रभावित हुये किसानों, फुटपाथ विक्रेताओं, गरीबों व प्रवासियों के आर्थिक विकास हेतु योजनायें संचालित करना हैं, जबकि तृतीय एवं चतुर्थ भाग के अन्तर्गत जो धनराशि निश्चित की हैं, वह क्रमशः 150000 करोड़ रूपये व 48100 करोड़ रूपये हैं।
150 करोड़ रूपये पूर्ण रूप से भारतीय कृषि संरचनात्मक ढॉचे पर व्यय करने हेतु निर्धारित हैं। इसमें ऐसे उद्यम जो खाद्यय पदार्थो या भोज्य पदार्थो से संबंधित हैं, को उच्च स्तर पर पहुॅचाना, मछली पालकों के आर्थिक विकास हेतु वित्त पोषित करना, औषधीय फसलों को प्रोत्साहित करना, दुग्ध उत्पन्न करने वाले मवेशियों को बढ़ावा देना और पर्यावरण को साफ-सुथरा या प्रदूषण से बचाने के लिये हरियाली अभियान संचालित करना।
चौथे व अंतिम आर्थिक पैकेज के अन्तर्गत जो धनराशि व्यय करने हेतु निर्धारित की हैं, उसे देश के 8 क्षेत्रों (खनिज, कोयला, हवाई क्षेत्र, रक्षा उत्पादन, हवाई अड्डे, विद्युत वितरण, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा) पर व्यय करने का लक्ष्य रखा हैं ताकि इन क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हो सके।
आत्म-निर्भर भारत अभियान को तालाबंदी से ध्वस्त हुयी अर्थव्यवस्था को पुर्नःप्राप्त करने के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण उपकरण माना जा रहा हैं और यह संभावना व्यक्त की जा रही हैं कि यह अभियान देश को वैश्विक स्तर पर भी उच्च स्थिति में पहुॅचाने में सक्षम होगा।
वित्तीय पैकेज, एम.एस.एम.ई क्षेत्र, अर्थव्यवस्था का संरचनात्मक ढॉचा, कृषि।
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