बैगा जनजाति के उत्पत्ति का सिध्दांत (बैगा लोककथाओं के संदर्भ में)

Theory of Baiga Tribe origin

Authors

  • Dr. Ramanuj Pratap Singh Dhurve Assistant Professor - Dept. of History Govt. B. S. D. College Kunkuri Dist. Jashpur, Chhattisgarh

Keywords:

Baiga Tribe, Tribal, Origin

Abstract

इतिहास इस बात का साक्षी है कि मानव समाज करोड़ो वर्षो की विकास प्रक्रिया से गुजरता हुआ वर्तमान समाजिक व्यवस्था तक पहुँचा है। भारतीय इतिहास के संदर्भ में देखें तो हमेशा से ही विभिन्न जातियों के उत्पत्तियों के पीछे आलौकिक या धार्मिक प्रभाव देखने को मिलता है। देवी उत्पत्ति का सिद्धांत भारतीय जातियों में आम है। बैगा जनजाति भी अपनी उत्पत्ति को इस दैवीय सिद्धांत से व्यक्त करती है। बैगा जनजाति में अपनी उत्पत्ति को लेकर विभिन्न लोक कथा प्रचलित हैं। बैगा जनजाति मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की आदिम जनजाति है। मध्यप्रदेश में यह अनुपपुर, डिंडौरी, मंडला, बालाघाट जिले में व छत्तीसगढ़ के गौरेला पेण्ड्रा मरवाही, मुंगेली, कवर्धा व राजनंदगांव जिले में निवास करती है। छत्तीसगढ़ में इनकी जनसंख्या 89744 व मध्यप्रदेश में 414526 है। कुल जनसंख्या 504270 है। बैगा जनजाति के उत्पत्ति के विषय में आधुनिक शोधो का अभाव है। रसेल व ग्रियसन ने बैगा जनजाति को भुमिया जनजाति का पृथक समुह माना है। बैगा जनजाति के लोग गोंड़ जनजाति के लोगो को अपना बड़ा भाई मानते है। गोंड व बैगा जनजाति के लोग आपस में मिलकर रहते है। बैगा के किवदंती के अनुसार ब्रम्हा ने सृष्टि रचना हेतु दो व्यक्ति उत्पन्न किये एक को नागर (हल) दिया और वह खेती करने लगा वह गोड़ हुआ और दुसरे को टंगिया (कुल्हांडी) दी। वह वन काटने लगा अनुपलब्धता के कारण उसने वस्त्र धारण नही किया । नांगा बैगा कहलाया इसके वंशज बैगा कहलाया।

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Published

2021-07-01

How to Cite

Dhurve, R. P. S. (2021). बैगा जनजाति के उत्पत्ति का सिध्दांत (बैगा लोककथाओं के संदर्भ में): Theory of Baiga Tribe origin. AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 2(1), 100–104. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/20