माध्यमिक छात्रों में सामाजिक समायोजन का आविर्भाव - एक चुनौती
Keywords:
Secondary Education, Self-awareness, Discipline, Family, AdjustmentAbstract
शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करती है । बाल्यकाल से ही शिक्षा के द्वारा व्यक्ति अपने वातावरण में अनुकूलित गुणों का समावेश करता है । हम जानते हैं कि प्राचीन भारतीय शिक्षा प्राप्ति का एक प्रमुख स्थल गुरुकुल व्यवस्था थी । उसी गुरुकुलव्यवस्था में रहकर बालक स्वयं के चरित्र का निर्माण करते थे जो भारतीयशिक्षा का प्रमुख उद्देश्य माना जाता था । १९४७ में भारत की स्वतन्त्रता के बाद १९५३ में माध्यमिक शिक्षा कमिशन के लिए शिक्षा-शास्त्रियों ने अपना सुझाव दिया कि जीवन को सफल बनाने के लिए मनुष्य में समायोजन एक महत्त्वपूर्ण गुण है जिसको बालक विद्यालय में सीखते हैं । शिक्षा-शास्त्रियों एवं मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि छात्रों ने सामाजिकता, शांतिभाव, संतुष्टि, सकारात्मकता, गलतियों में सुधार, आदर्श व्यक्तित्व आदि सामाजिक सुसमायोजित गुणावली का विकास माध्यमिकशिक्षा प्राप्त करते समय होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण बालक भविष्य में आने वाली सभी बाधाओं का समाधान कर सकते हैं। प्रस्तुत शोधपत्र के माध्यम से शोधकर्त्ता ने माध्यमिक विद्यालय के छात्रों में सामाजिक समायोजन के गुणों का आविर्भाव एक चुनौति को स्पष्ट करने का प्रयास किया है ।
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Copyright (c) 2021 Supriya Ghosh, Dr.Rishi Raj
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