@article{Meravi_2022, title={बालाघाट जिले के बैगा आदिवासी समाज में सामाजिक परिवर्तन का एक भौगोलिक अध्ययन}, volume={3}, url={https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/160}, abstractNote={<p style="text-align: justify;">जनजातीय समस्याएँ वास्तव में विस्तृत और जटिल समस्याएँ हैं, जो उनके रहन-सहन, रीति-रिवाज, सभ्यता, संस्कृति, देवी-देवताओं के प्रति आस्थाओं से जुड़ी होती हैं। आदिवासी क्षेत्रों के वर्तमान, सामाजिक-आर्थिक दशाओं में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा से संबंधित समस्याएँ अपने गुण व सीमा में अद्वितीय है। इन क्षेत्रों में उचित शिक्षा के अभाव एवं चिकित्सा संबंधी सुविधाओं के पर्याप्त उपलब्ध न हो सकने के कारण मृत्यु एवं बीमारी की दर शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक है। ग्रामीण समाज में विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में शिशु मृत्यु की घटना व्यापक स्तर पर पायी जाती है। <br>बैगा जनजाति पिछड़े क्षेत्रों में निवास करती है, जहाँ वातावरण जनजीवन के लिए समान्य नहीं है। धरातलीय बनावट, जलवायु, कृषि, परिवहन का समुचित विकास न होने व शिक्षा का अभाव के कारण, गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रही है। ऐसी स्थिति में बैगा न तो अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रख पाते हैं और न ही पर्यावरण स्वच्छता का।<br>विकास की परंपराओं में आज भी बैगा आदिवासी शैक्षणिक दृष्टि से शून्य हैं। आर्थिक रूप से कृषि मजदूरी करके जीवन निर्वाह करना होता है। वह विभिन्न विकास कार्यक्रमों के विभिन्न आयामों से अनभिज्ञ हैं और उनसे मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं। आदिवासी अंचलों में मलेरिया का प्रकोप अधिक होता है। बारिश के मौसम में मलेरिया के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि होती है। इसलिए ऐसे क्षेत्रों में मरीजों की जाँच करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को किट प्रदान किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया उन्मूलन के लिए लगातार प्रयास भी किए जा रहे हैं। जिससे ग्रामीण बैगा आदिवासी जन समुदाय इससे लाभान्वित हो सकेगी।<br>शासन द्वारा बैगा समुदाय के उत्थान के लिए प्रयास करने का निर्णय लिया गया है। आदिवासी बैगाओं के विकास व उत्थान के लिए उन्हें गोद लेने की प्रक्रिया की जा रही है, जिसमें उनके मूलभूत सुविधाओं से लेकर अन्य सभी समस्याओं का निराकरण के लिए प्रशासन द्वारा प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। बैगा आदिवासी वनग्राम विकास की दृष्टि से काफी पिछड़े हुए हैं। इन गाँवों के विकास के लिए शासन द्वारा शासकीय बजट के अनुसार प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है, जिससे बैगा आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों का विकास संभव हो सकेगा। </p>}, number={6}, journal={AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE}, author={Meravi, Meenakshi}, year={2022}, month={Jul.}, pages={49–58} }