@article{Atram_2021, title={आदिवासी तेंदूपत्ता संकलनकर्ताओं की आर्थिक स्थ‍िती और समकालीन चुनौतियां: (Economic condition and contemporary challenges of tribal tendu leaves collector)}, volume={2}, url={https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/31}, abstractNote={<p style="text-align: justify;">चंद्रपूर एंव गडचिरोली यह जिले महाराष्ट्र के पूर्वांचल में स्थित वनाच्छादित प्रदेश तथा खनिज और वनसंपदा से भरपूर यह आदिवासी बहुल क्षेत्र है। तेंदू पत्ता संकलन यह ग्रामीण जनजीवन को लगभग 6 महीनों का वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराता है। दिनभर मेहनत के बाद इन्हें बेहद कम मजदूरी दी जाती है किंतु ग्रामीण जनमानस अपनी जरूरतों को पूरा करने हेतु इस निम्नतम मजदूरी पर भी कार्य कर लेते हैं। यह एक तरह से आदिवासी मजदूरों के आर्थिक शोषण को दर्शाता है जबकि इस पर बीड़ी उद्योगपती करोड़ों का व्यापार चलाते हैं। चंद्रपुर - गडचिरोली जिला क्षेत्र के सभी गांव में वन्य प्राणियों द्वारा इन तेंदूपत्ता संग्राहक मजदूरों पर हमले होते हैं। ऐसे में कोरोना महामारी के संक्रमण का खतरा भी बढ गया है। इसलिए, तेंदूपत्ता संग्रहण की पूरी प्रक्रिया मे कोरोना संकट ने एक बडी समस्या खडी की है। इसी प्रकार स्थानिक तेंदूपत्ता संग्राहक समितियों द्वारा देरी से तेंदूपत्तों की खरेदी के कारण तेंदूपत्ता संकलनकर्ताओं की मेहनत बेकार जाती है और उसकी मजदूरी भी नहीं मिलती। मौजूदा अनेकों चुनौतियों के बिच आज आर्थिक रूप से पिछड़े आदिवासी वनक्षेत्र निवासित स्थानिक लोग तेंदूपत्ता संकलन कार्य कर रहे है।</p>}, number={1}, journal={AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE}, author={Atram, Hirdayashah}, year={2021}, month={Jul.}, pages={135–146} }