ग्रन्थालयों में रेडियो आवृत्ति पहचान पद्धति: एक परिचय

Authors

  • Dr.Anupam Saigal Librarian, Om Sterling Global University, Hisar Haryana
  • Vishwadeep Kharwar Scholar, Dept. of Library and Information Science , B.B.A.U Lucknow,U.P
  • Shreya Yadav Scholar, Dept. of Library and Information Science , Delhi University
  • Nishant Pandey Dept. of Library and Information Science Scholar, Mahatma Gandhi Central University, Motihari, Bihar

Keywords:

Library, RFID System, Radio

Abstract

आज सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते कदमों ने ग्रन्थालयों को नई दिशा प्रदान की है। इन्टरनेट के प्रादुर्भाव से नई सूचना वृहद रूप में हमारे सामने है, परन्तु सम्पूर्ण सूचना को ग्रन्थालय में एकत्रित कर पान सम्भव नही है क्योंकि ग्रन्थालय में वित्तीय अभाव, कर्मचारियों की कमी और समयाभाव के कारण यह व्यवहार में सम्भव नही है। ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए आर. एफ. आई. डी. पद्धति बहुत ही कारगर सिद्ध हुई हैं। इस तकनीक के प्रयोग से ग्रन्थालय सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
रेडियों आवृत्ति पहचान पद्धति (Radio Frequency Identification System) आर.एफ.आई.डी. (RFID) पद्धति एक ऐसी तकनीक है जिसे ग्रन्थालय में मुख्य रूप से ग्रन्थों के संचालित आगम-निर्गम (Issue-Return) , उनकी पहचान, उनको खोजने सब उनकी सुरक्षा के लिए उपयोग किया जाता है। पाठ्य सामाग्री पर नियंत्रण रखने की यह सर्वोत्तम पद्धति है।

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Published

2022-04-13

How to Cite

Saigal, A., Kharwar, V., Yadav, S., & Pandey, N. . (2022). ग्रन्थालयों में रेडियो आवृत्ति पहचान पद्धति: एक परिचय. AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 3(3), 113–117. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/113