असहयोग आन्दोलन एवं जनसहभागिता (बुन्देलखण्ड के विशेष सन्दर्भ में)

Authors

  • Durgesh Kumar Shukla Asst. Professor, Govt. P.G. College Munsyari, Pithoragarah, Uttarakhand

Keywords:

स्वाधीनता, सत्याग्रह, बहिष्कार, स्वराज्य, सहभागिता

Abstract

लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में स्वराज्य की स्थापना होने तक असहयोग कार्यक्रम चलाने की स्वीकृति प्रदान की गयी। इस प्रस्ताव को कार्यरूप में परिणित करने के लिये दिसम्बर 1920 में विजय राघवाचारी की अध्यक्षता में हुये नागपुर के अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम का अनुमोदन कर दिया गया। कांग्रेस के ध्येय में भी परिवर्तन हुआ। अब कांग्रेस का ध्येय “भारत के लिये सब प्रकार के उचित तथा शान्तिपूर्ण उपायों द्वारा स्वराज्य प्राप्त करना“। असहयोग आन्दोलन में जो कार्यक्रम चलाये गये, इनमें भारत के सभी वर्गों ने बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। असहयोग आन्दोलन देश में अभूतपूर्व उत्साह पैदा कर दिया। देश की जनता में इतनी अधिक उत्तेजना कभी नहीं फैली थी। यह पहला अवसर था जबकि देश की स्वतन्त्रता की लड़ाई को जनता का आधार मिला था। गाँधी जी ने आन्दोलन में भाग लेने तथा उसे सफल बनाने के लिये आमजनता को प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होने सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया। उसी क्रम में गाँधी बुन्देलखण्ड भी आये। बुन्देलखण्ड के जनमानस ने गाँधी जी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन में अपनी अग्रणी भूमिका का निर्वाहन किया तथा आन्दोलन को सफल बनाने का प्रयास किया।

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Published

2022-05-13

How to Cite

Shukla , D. K. (2022). असहयोग आन्दोलन एवं जनसहभागिता (बुन्देलखण्ड के विशेष सन्दर्भ में). AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 3(4), 37–41. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/128