गोंड गणोंके समाजिक कानून में गोंड स्त्रीयों को सांपत्तीक अधिकार और न्याय
Financial rights and justice of Gond women in Gond community
Keywords:
Gond community Law, Tribal, WomenAbstract
गोंड गणसमूह यह अतिप्राचिन अनार्य व्यवस्था का भाग रहा है। पाषण अवस्था से आधुनिक युग में भी इस समाज में अपने परिवार में माता का स्वतंत्र दर्जा रहा है। आर्य व्यवस्था मे पुरुष प्रधान संस्कृती वर्तमान के 21 वे शताब्दी में भी चल रही है जो सिर्फ पुरुषों के अधिकार को मान्यता देती है । अंग्रेज (ब्रिटेन) सरकार का जब इस देशपर साम्राज्य था तब स्वदेशीय समाज सेवकोने माँग उठाकर पुरुष प्रधान संस्कृती से होने वाले स्त्रीयोंपर अत्याचार दूर करने की कोशिश की जिस में ब्रिटीश सरकारने सती प्रथा निमुर्लन, स्त्री शिक्षा, पुरुषों के बराबर दर्जा और हक देने के लिये ब्रिटीश इंडिया मे कानून बनवाकर स्त्रीयोंपर होने वाले अत्याचारों को रोकने की कोशिश की है । इससे यह होता है की, इस देश में स्त्रीयोंपर अन्याय और अत्याचार होते रहा है। इस प्रकार का अन्याय विषेशतः पारिवारीक संपत्ती के बारे मे गोंड गण समाज के स्त्रियोंपर ना हो इसपर हम अपना लक्ष केंद्रित करते हैं। जिस समाज में मातृप्रधान संस्कृती का चलन है उस समाज में किसी भी प्रकार का अन्याय स्त्रियोंपर नहीं हो सकता परंतू किसी दूसरे धर्म रिती रिवाजों के प्रभाव मे आने से उनके विचारों के प्रेरणा से अगर गोंड गण समूह अपने पारिवारीक संस्कार एवंम रितीरिवाज एवं सामाजिक कानून के बाहर जाकर किसी प्रकार का अन्याय और अत्याचार का प्रयोग करता है तो वह और उसके साथीदार या उसके विचारों से प्रेरित समूह समाज को अवश्य हानी पहुंचा सकते हैं। या पुरुष प्रधान संस्कृती की विचारधारा के तरफ समाजको परिवर्तीत करने का प्रयत्न करते है। ऐसी अवस्था मे हम गोंडगण समाज के व्यवस्थापर अध्ययन करते समय विद्वानों को अवश्य जागृत और सतर्कता से सजग रहने की नितांत जरुरत है। जिससे उनके (गोंड) सामाजिक ढांचे को समझने मे और उसका अध्ययन करने मे हमें साहयता मिलेगी। इस अध्ययन में हम विशेष कर गोंड महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक एवंम धार्मिक स्थिती को समझना आवश्यक होता है।
Downloads
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2021 Dr. Vikrantshah Atram
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.