संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में भारत के स्थाई सदस्यता की दावेदारी एवं चुनौतियां

Authors

  • Swapnil Pandey Assistant Professor, Political Science, Chandrakanti Ramavati Devi Arya Mahila PG College, Gorakhpur, Uttar Pradesh

Keywords:

United Nation organization, Permanent member, Multilateral forum, Demand for expansion

Abstract

आज दुनिया के अधिकांश देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सर्वाधिक प्रभावशाली अंग सुरक्षा परिषद के सुधार एवं विस्तार की मांग कर रहे हैं। विश्व शांति को स्थापित करने के उद्देश्य से 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की स्थापना की गईं। विश्व की संपूर्ण जनसंख्या का 17 प्रतिषत भाग भारत में ही निवास करता है। सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं करता है। यदि भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनना है तो हर एक भारतवासी की यही बड़ी उपलब्धि होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र की महासभा में संबोधित करते हुए कहा कि- बिना व्यापक सुधार के संयुक्त राष्ट्र अपने विश्वसनीयता के लिए संकट का सामना करना कर रहा है । आज दुनिया को ऐसे बहुपक्षीय मंच की जरूरत है जो अपनी वास्तविकता को प्रदर्शित कर सके ,सभी को अपने विचार रखने का अवसर प्रदान कर सकें जिससे मानव का कल्याण हो सके। सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता में दावेदारी से पूर्व अपनी अंदरूनी समस्याओं जैसे देश में असमानता, गरीबी ,अशिक्षा मूलभूत संसाधनों की कमी, बेरोजगारी आदि को दूर करना होगा। संयुक्त राष्ट्र का कोई कार्यक्रम तब तक अस्तित्व में नहीं आता जब तक सुरक्षा परिषद उस पर अपनी मुहर नहीं लगाता ।

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Published

2023-01-28

How to Cite

Pandey , S. . (2023). संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में भारत के स्थाई सदस्यता की दावेदारी एवं चुनौतियां . AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 4(1), 63–67. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/205