शिक्षा के वैयाक्तिक एवं सामाजिक उद्देष्यों का सामंजस्य

Authors

  • Dr.Deepak Kumar Research Scholar-Singhaniya University Rajasthan and Principal - Cambridge Teacher’s Training College, Koderma, Jharkhand.

Keywords:

Teacher Education, Indian Society, Education Strategy, Society

Abstract

मानव बड़ा है अथवा समाज ? यह प्रष्न प्राचीन काल मे ही विद्ववानों के समक्ष विचारणीय रहा है। कुछ विद्वान् समाज की उपेक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व पर बल देते हैं, को कुछ समाज के हित के समक्ष व्यक्ति को बिलकुल महत्वहीन मानते हुए उसे समाज की उन्नति के लिए बलिदान तक कर देने के पक्ष में हैं। इस वाद-विवाद के आधार पर की शिक्षा के व्यैक्तिक तथा सामाजिक उद्देष्यों का सर्जन हुआ है। शिक्षा सम्बन्धी सभी उदेष्य प्रायः इन्ही दोनों उद्देष्यों में से किसी एक उदेष्य के पक्ष में बल देते हैं। अब प्रष्न यह उठता है कि शिक्षा के इन दोनों उद्देषों में समन्वय स्थापित किया जा सकता है अथवा नहीं ? यदि अन्तर केवल बल देने का ही तो इन दोनों उद्देष्यों के बीच समन्वय स्थापित करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। परन्तु इसके लिए हमें निष्पक्ष रूप से इन दोनों उद्देष्यों के संकुचित तथा व्यापक रूपों का अलग-अलग अध्ययन करके यह देखना होगा कि इन दोनों उद्देष्यों में कोई वास्तविकता विरोध है अथवा केवल बल देने का अन्तर है।

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Published

2023-03-21

How to Cite

Kumar, D. (2023). शिक्षा के वैयाक्तिक एवं सामाजिक उद्देष्यों का सामंजस्य . AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 4(3), 102–111. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/248