भागवद्गीता में नारी भावना एवं वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता
Abstract
भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यत्र पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। महाभारत में कहा गया है कि जिस कुल में नारियों की उपेक्षा भाव से देखा जाता है उस कुल का सर्वनाश हो जाता है। शतपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि नारी नर की आत्मा का आधा भाग है। नारी के बिना नर का जीवन अधूरा है इस अधूरेपन को दूर करने और संसार को आगे चलाने के लिए नारी का होना जरूरी है। जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात् सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तन संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां तो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।
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