जनजातियों के आर्थिक-सामाजिक विकास मे गोंडराजा का योगदान

Authors

  • Dr. Shrikant Upadhyay Associate Professor, Department of Sociology, Dr. Babasaheb Ambedkar Mahavidyalaya, Nagpur, M.S

Keywords:

Schedule Tribes, Contribution Gond kings

Abstract

इ.स १९५२ मे चाँदागड के राजपरीवार मे पैदाहुवे राजकुमार बिरशहाजी अत्यंत संपन्न एंवम विद्यवतापुर्ण बुध्दीमान ‍व्यक्ती है। इनका भाग्योदय इ.स १९५३ मे अंधकारमय हुवा । इनके पिता गोंडराजा कृष्णशहा एंवम मातजी रानी राजेक्ष्वरी तथा इनकी बडी बहन कुंवर राजकुमारी और छोटे भाई इनका कॉलरा महामारी से चाँदागड राजमहल मे देहांत हो गया पुरा परीवार स्वर्गवासी होने से वे बचपन मे उम्र ३-४ साल के दरम्यान अनाथ हो गये , परंतू इनके बडे पिता‍ राजा दिनकरशहा के बडे पुत्र राजकुमार यादवशहा दिनकरशहा आत्राम इन्होने इनकी परवरीश की परंतू वह जो दौर था की , अंग्रेजो से छुटकारा पाने के लिऐ हर रियासत प्रयत्नशील थी।
इससे चाँदागड राजपरीवार मे आर्थिक विपन्नता आयी। यादवशहाजी ने चाँदागड के ब्रिटीश कलेक्टर से सहाय्यता लेकर राजकुमार बिरशहाजी को उच्चशिक्षा प्राप्ती हेतू केरल भेज दिया गया। इ.स १९८० मे राजकुमार बिरशहाजी की उच्च्‍विद्या विभूषित होकर चाँदागड लौट आये परंतू राजपाट संभालते यादवशहाजी आत्राम बडे भाई गंभीर बिमारी से घिरगये। कोई व्यवस्था महल मे नही थी। नाममात्र काही खंडहर महल रह गया था।

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Published

2022-01-30

How to Cite

Upadhyay, S. . (2022). जनजातियों के आर्थिक-सामाजिक विकास मे गोंडराजा का योगदान. AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 3(1), 17–20. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/59