निराला की कविताओं में आक्रोश एवं विद्रोह की प्रधानता
Keywords:
Nirala, inequality, Brotherhood, Rebels, Awareness, MarxismAbstract
छायावादी कवि निराला "ओज और औदांत" के कवि कहलाते हैं। निराला के काव्य में इस क्रांति-भावना के साथ बाहरी विषमता के प्रति उनकी दृष्टि विद्रोहात्मक है। जो उन्हें प्रगतिशील कवि का महत्व देती है। सामाजिक भूमिका पर समानता और असमानता का पूरा प्रत्यय उनके काव्य में पाया जाता है। अपने इस प्रगतिशील स्वर में निराला की काव्य चेतना समसामयिक है, सभी कवियों में प्रखर भी है। उनकी ओजस्विता सर्वविदित है। निराला इस युग के प्रशस्त और उदात्त भावना के कवि कहे जाते हैं।
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