मध्य प्रांत के जनजागरण में आदिवासी नायकों की भुमिका: छत्तीसगढ के विशेष संदर्भ में

Authors

  • Dr. Ramanuj Pratap Singh Dhurve Assistant Professor, Govt. Bala Saheb Deshpande college, kunkuri, Jashpur, Chhattisgarh

Keywords:

Tribal, Chhattisgarh, Central provinces, Warriors

Abstract

भारत के ह्रदय में स्थित मध्यप्रांत अतीत से ऐतिहासिक व संस्कृतिक दृष्टि से वैभव सम्पन्न रहा है। मध्यप्रांत के छत्तीसगढ़ की पहचान सदैव आदिवासी बहुल राज्य के रूप में रही है। यहाँ की संस्कृति जनजातीय विशेषता ली हुई हैं। यहाँ गोंड, कंवर, हल्बा, उरांव आदि अनेक जनजाति निवास करते है। इन जनजतियों ने न केवल छत्तीसगढ़ को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया है वरन ऐतिहासिक रूप से मध्यप्रांत के जनजागरण में महत्ती भूमिका निभाई है। भारत में ब्रिटिश शासन के आगमन के बाद देश के हर हिस्से में ब्रिटिश साम्राज्य को आदिवासियों के विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि ब्रिटिश सरकार की शोषणकारी आर्थिक नीतियों ने आदिवासियों की जीवन प्रणाली को तहस नहस कर डाला था। अंग्रेजो के निरंतर शोषण और अत्याचारों के विरुद्ध जब भारतीयों ने बगावत का बिगुल फुंका तब मध्यप्रांत भी इस से अछूता नहीं रहा। मध्यप्रांत के छत्तीसगढ़ संभाग में राजनीतिक चेतना को प्रारंभ करने का श्रेय आदिवासियों को ही जाता है। मध्यप्रांत के छत्तीसगढ़ संभाग अग्रेजों के विरूद्ध आरम्भिक विद्रोह का नेतृत्व आदिवासी समुदाय ने ही किया।

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Published

2023-01-27

How to Cite

Dhurve, R. . (2023). मध्य प्रांत के जनजागरण में आदिवासी नायकों की भुमिका: छत्तीसगढ के विशेष संदर्भ में. AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 4(1), 52–56. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/203