मध्य भारत में डायन, टोनही, मान्यताओं का इतिहास बौद्ध धर्म के तंत्रयान से हिन्दू धर्म में विकृति तक का सफर

Authors

  • Dr. Jyoti Bala Barsagade Virangna Rani Awanti Bai Lodhi Govt.Art's & Commerce College Ramatola, Distt-Rajnandgaon(C.G.)
  • Hemant Kumar Barsagade

Abstract

भारत में डायन और टोनही मान्यताएं सामाजिक, सास्कृतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में गहराई से जुडी नजर आती है। ये मान्यताएं विश¢ष रूप से भारत के नगरीय, ग्रामीण और जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रांे में दिखाई देती है, जहां इन्हें अन्धविश्वास, जादू - टोना और अलौकिक शक्तियों से जोड़ा जाता है। इसके विपरीत हम बौद्ध धर्म की तंत्रयान शाखा की बात करें तो हमें दिखाई देता है, तन्त्र-मन्त्र के द्वारा सिद्धि हासिल करना और ऐसी सिद्धि प्राप्त महिलाओं को डाकिनी कहा जाता था, अब विचार करने वाली बात यह है कि डाकिनी या सिद्ध महिलाएं जिनकों समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था समय के साथ हिन्दू धर्म की विकृति स्वरूप बौद्ध धर्म तंत्रयान की सिद्ध महिला डाकिनी को डायन और टोनही जैसे शब्दों को प्रयोग किया जाता है। समाज में इन्हें हेय दृष्टि से देखा जाने लगा, उन्हें सामाजिक रूप से प्रताड़ना का शिकार हाने पड़ा, बौद्ध धर्म के सिद्ध धर्म के सिद्ध और नाथ परम्परा में जिन सिद्ध महिलाओं का सम्मान था, हिन्दू धर्म में पतित एवं एवं अपमानित कर अन्धविश्वास, सामाजिक पृथककरण तक ढ़केल दिया गया।

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Published

2025-10-10

How to Cite

Barsagade, J., & Barsagade, H. (2025). मध्य भारत में डायन, टोनही, मान्यताओं का इतिहास बौद्ध धर्म के तंत्रयान से हिन्दू धर्म में विकृति तक का सफर. AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 6(9), 1–10. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/452