ध्यान का विज्ञान : एक विवेचन

Authors

  • Dr. Praveen Kumar Gupta Asst. Professor, Indira Gandhi National tribal University, Amarkantak, Madhya Pradesh
  • Dr. Sandip Thakare Asst. Professor, Dept. of Yoga, Indira Gandhi National Tribal University, Amarkantak Madhya Pradesh

Abstract

एकाग्रता संपादन करना ध्यान का प्रमुख लक्ष्य है। चित्तवृतियां प्रायः अनियंत्रित  बनी रहती है ।ध्यान के अभ्यास से वह व्यवस्थित हो जाती है। शक्ति का अपव्यय  रुकता है। सतत एवं नियमित रूप से ध्यान साधना करने वाले योग साधकों का मस्तिष्क शांत रहता है। चंचलता मिटती है, मन में स्थिरता आती है, प्रसन्नता आती है। नाड़ी की गति कम होती है साथ में श्वसन दर भी कम होता है ।शरीर का तापमान में भी गिरावट आती है इसके अतिरिक्त प्राण ऊर्जा का भंडार बढ़ता है। ध्यान एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास में हमारी सहायता कर हमें अपने संपूर्ण अस्तित्व का स्वामी बनाने में सक्षम है। मानव में विभिन्न शक्तियों का समुच्चय उपलब्ध हैं। प्रत्येक शक्ति के विकास के अपने विधि-विधान हैं। इन सभी शक्तियों का संगम ही हमारा जीवन है। जब हम ध्यान का अभ्यास शुरु करते हैं तब हम अपने अस्तित्व और अपने व्यक्तित्व के प्रत्येक आयाम के विकास की प्रक्रिया में गतिशीलता लाते हैं। ध्यान के द्वारा सूक्ष्म मन के अनुभवों को स्पष्ट किया जाता है।

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Published

2023-02-09

How to Cite

Gupta , P. ., & Thakare, S. . (2023). ध्यान का विज्ञान : एक विवेचन. AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 4(2), 13–20. Retrieved from https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/210